कसरत करने से व्यक्ति केवल शारीरिक या मानसिक रूप से ही तंदरुस्त नहीं होता, बल्कि इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है। एक नए शोध में दावा किया गया है कि फुरसत के समय में तय वक्त तक शारीरिक गतिविधियां करने से एक-दो नहीं, बल्कि सात तरह की जानलेवा कैंसर के खतरे के कम किया जा सकता है।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि कसरत करने से कोलोन और स्तन कैंसर, एंडोमेट्रियल, किडनी, मायलोमा, यकृत कैंसर और गैर-हॉजकिन लिंफोमा जैसे जानलेवा कैंसर होने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह शोध क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी जर्नल में छपा है। इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले हुए कई शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि शारीरिक गतिविधियों से कैंसर के खतरे के कम किया जा सकता है, लेकिन यह पहली बार साबित किया गया है कि कितने समय तक कसरत करने से किसी खास कैंसर के खतरे के कम किया जा सकता है।
कैंसर व व्यायाम के बीच संबंधों का आंकलन-
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने कुल नौ डाटाबेस के आंकड़े जुटाए जिसमें 7.5 लाख लोगों का डाटा संरक्षित था। करीब 10 साल तक किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 15 प्रकार के कैंसर की घटनाओं के साथ शारीरिक गतिविधि के बीच के संबंधों का आकलन किया। इसी के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि तंदरुस्त रहने के लिए हरेक व्यक्ति को प्रति सप्ताह कम से कम 2.5 से 5 घंटे मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए। साथ ही कहा कि अगर कड़े और अधिक तीव्रता वाली व्यायाम करते हैं तो हर सप्ताह डेढ घंटे से ढाई घंटे तक एक्सरसाइज करें।
एक्सरसाइज रोजाना 20 मिनट की ब्रिस्क वॉक भी हो सकती है। इससे महिला और पुरुष दोनों में लीवल कैंसर की आशंका 18 फीसदी कम हो जाती है।
शोधकर्ताओं ने कहा, मध्यम तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि वह है जिसमें शांत बैठे रहने की तुलना में प्रति मिनट तीन से छह गुना अधिक ऊर्जा की खपत होती है या कैलोरी बर्न होता है। वहीं अधिक तीव्रता वाली गतिविधि में प्रति मिनट छह गुने से अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
महिला और पुरुष दोनों पर लागू-
जब इन आंकड़ो का विश्लेषण किया गया तो शोधकर्ताओं ने पाया कि शांत बैठे रहने के मुकाबले यदि कसरत करके प्रति सप्ताह 7.5 से 15 गुना तक अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं, तो इन सात तरह के कैंसर से बचा जा सकता है। यह समान रूप से महिला और पुरुष दोनों पर लागू होता है। इसमें कहा गया है कि एक्सरसाइज से जितना अधिक कैलोरी बर्न करेंगे, कैंसर का खतरा उतना ही कम होता जाएगा।
खतरे काफी कम हो गए-
इस अध्ययन की मुख्य शोधकर्ता अल्पा पटेल ने दावा किया गया कि तय समय तक व्यायाम करने से किडनी के कैंसर का खतरा 17 फीसदी तक कम होता है। लीवर कैंसर होने की आशंका 27 फीसदी तक कम हो जाती है। मायलोमा के खतरे को 19 फीसदी तक कम किया जा सकता है। कोलोन कैंसर होने की आशंका 14 फीसदी तक कम हो जाती है। महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा 10 फीसदी तक कम होता है। वहीं यकृत कैंसर और गैर-हॉजकिन लिंफोमा का खतरा 18 फीसदी तक कम होता है।
कैंसर रोगियों के जीवित रहने की संभावना बढ़ा सकता है अधिक बीएमआई-
कुछ कैंसर पीड़ितों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) बढ़ाकर उन्हें जीवित रखा जा सकता है। अमेरिका के फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। जामा ऑन्कोलॉजी जर्नल में छपे इस शोध में शोधकर्ताओं ने कहा कि कुछ मामलों में अधिक बीएमआई वाला पीड़ित व्यक्ति कैंसर के छुटकारा पा सकता है। इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डॉ. गणेशन किचेनदाससे ने कहा कि हमारा अध्ययन इस परिकल्पना का समर्थन करने के लिए नए सबूत प्रदान करता है कि उच्च बीएमआई कैंसर की इम्यूनोथेरेपी की प्रतिक्रिया से जुड़ा हो सकता है।
हालांकि यह शोध पूर्व में किए गए शोधों का विरोधाभाषी है, लेकिन हमें मोटापा और कैंसर के बीच के संबंधों को जानने के लिए और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है। पूर्व के शोधों में यह कहा गया है कि मोटापे के कारण लोगों को कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही इससे हृदय संबंधी कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।