लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि देश की संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन विधेयक और महामहिम राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित नागरिकता संशोधन अधिनियम पूर्ण रूप से असंवैधानिक एवं अव्यवहारिक है। इसी असंवैधानिकता के फलस्वरूप देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कहीं कहीं भारतीय जनता पार्टी समर्थित लोगो के द्वारा प्रदर्शन की भीड़ में घुसकर शान्तिपूर्ण आन्दोलन को हिंसक बनाने का कुचक्र किया गया है, जिसका सटीक उदाहरण प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। बंगलुरू में दो तथा राजधानी लखनऊ में एक व्यक्ति असामयिक मृत्यु भी सत्ता पक्ष के कुचक्र और पुलिस की तानाशाही का परिणाम है।
अधिनियम भाजपा आरएसएस की विचारधारा के थोपने
डाॅ. अहमद ने कहा कि यह अधिनियम लागू होने के पश्चात देश का नवयुवक एवं विद्यार्थी वर्ग के साथ आमजन मानस भी उद्वेलित हो गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह अधिनियम भाजपा आरएसएस की विचारधारा के थोपने के फलस्वरूप देश की एकता और अखण्डता को खण्डित करने का असफल प्रयास है। किसान, नौजवान, बेराजगार वर्ग की समस्याओं की अनदेखी के साथ साथ देष की गिरती हुयी अर्थव्यवस्था से आम जनमानस का ध्यान भटकाने के लिए इस अधिनियम को जबरन देष पर थोपा गया है, जबकि अब यह भी स्पष्ट हो गया कि भाजपा इस अधिनियम की आड़ में पूरे देश में एनआरसी (NRC) थोपना चाहती है, जबकि असम की भाजपा इकाई एनआरसी के विरोध में खडी हुयी है।
शान्तिपूर्ण आन्दोलन को हिंसक बनाना निंदनीय
रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और शान्तिपूर्ण आन्दोलन को हिंसक बनाना निंदनीय है। अधिनियम के विरोध में मुखर होने वाले राज्यों में भाजपा शासित गुजरात, कर्नाटक, बिहार, हरियाणा और उ.प्र. प्रमुख हैं। यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि यह अधिनियम सम्पूर्ण देश में अलगाववाद के बीज बोने का भाजपा का खुला षड़यंत्र है। राष्ट्रीय लोकदल महामहिम राष्ट्रपति महोदय से मांग करता है कि वे अपने स्तर से प्रभावी कार्यवाही द्वारा संसद का विशेष सत्र आहुत करके केन्द्र सरकार को आदेश दें कि वह इस अधिनियम को निरस्त करें ताकि देश में आन्दोलनों का दौर समाप्त हों, शान्ति स्थापित हो और विकास का मार्ग खुल सके।