पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में 5 लोगों को मृत्युदंड

सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में पांच लोगों को मृत्युदंड सुनाया गया है। हालाकि इस संबंध में आरोपी दो जानी-मानी हस्तियों को दोषमुक्त करार दिया गया है। सऊदी अरब के लोक अभियोजक ने सोमवार को यह जानकारी दी। वाशिंगटन पोस्ट के स्तम्भकार खशोगी की पिछले वर्ष अक्टूबर में हत्या कर दी गई थी, जिसके बारे में रियाद ने कहा था कि कुछ 'बदमाश तत्वों' ने एक अभियान के तहत उनकी हत्या कर दी थी। इसके बाद सऊदी अरब कूटनीतिक संकट में फंस गया था और युवराज मोहम्मद बिन सलमान की छवि खराब हुई।



तुर्की के अधिकारियों के मुताबिक इंस्ताबुल में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास के अंदर 59 वर्षीय पत्रकार की 15 लोगों के एक दल ने हत्या की और उनके शव को टुकड़ों में काट डाला। सऊदी अरब के उप लोक अभियोजक शालान अल-शालान ने कहा, "हमने पाया कि खशोगी की हत्या सोच-समझकर नहीं की गई"। अभियोजक ने एक बयान में कहा, "अदालत ने हत्या में प्रत्यक्ष रूप से शामिल पांच लोगों को मृत्युदंड सुनाया।


सऊदी अभियोजकों ने कहा था कि खुफिया विभाग के उप प्रमुख अहमद अल असिरी की देखरेख में इस्तांबुल के वाणिज्य दूतावास में अक्टूबर 2018 में वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार की हत्या हुई और उन्हें रॉयल कोर्ट के शीर्ष मीडिया अधिकारी सऊद अल-कहतानी ने सलाह दी थी। बयान में बताया गया कि कहतानी की जांच हुई लेकिन साक्ष्यों के अभाव में वह दोषी नहीं पाए गए। असिरी की भी जांच हुई और वह आरोपित भी हुए, लेकिन इसी आधार पर उन्हें भी बरी कर दिया गया।


पश्चिमी सूत्रों के मुताबिक दोनों सहयोगी शहजादे मोहम्मद के करीबी थे और हत्या को लेकर उन्हें औपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन अदालत की सुनवाई में केवल असिरी पेश हुए। सूत्रों ने बताया कि विदेशी दौरों में शहजादे के साथ अक्सर यात्रा करने वाले जासूस माहेर मुतरेब, फॉरेंसिक विशेषज्ञ सालाह अल-तुबैगी और सऊदी रॉयल गार्ड के सदस्य फहद अल-बलावी उन 11 लोगों में शामिल थे जिनके खिलाफ मुकदमा चला।


यह स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनमें ये शामिल हैं अथवा नहीं। सूत्रों ने बताया कि कई आरोपियों ने अदालत में यह कहकर खुद का बचाव किया कि वे असिरी के आदेशों का पालन कर रहे थे और असिरी को उन्होंने ऑपरेशन का "मुखिया" बताया। मामले में दोषी पाए गए 11 लोगों में से पांच को मौत की सजा सुनाई गई, तीन को कुल 24 वर्ष जेल की सजा हुई और अन्य बरी हो गए।